Saturday, November 26, 2022

जन्मदिन पर विशेष : अपने ही गांव में बेगाने हो गए हरिवंश राय बच्चन, पुस्तकालय बन गया राशन का गोदाम

जीवन में वह था एक कुसुम, थे उस पर नित्य निछावर तुम, वह सूख गया तो सूख गया, मधुवन की छाती को देखो, सूखी कितनी इसकी कलियां, मुर्झाईं कितनी वल्लरियां, जो मुर्झाईं फिर कहां खिलीं, पर बोलों सूखे फूलों पर कब मधुवन शोर मचाता है।

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