पिता के महत्व को कवि पंडित ओम व्यास ने “पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है, पिता नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान है, पिता है तो बच्चों के सारे सपने है, पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं”, के जरिये रेखांकित किया है।
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